जहाँ हो दलित अत्याचार करें सिर्फ एक पुकार राष्ट्रीय दलित युवा मोर्चा

जहाँ हो दलित अत्याचार करें सिर्फ एक पुकार राष्ट्रीय दलित युवा मोर्चा

जहाँ हो दलित अत्याचार करें सिर्फ एक पुकार राष्ट्रीय दलित युवा मोर्चा

Monday, February 22, 2010

दलित वाच ---दलित अधिकारों की स्वतंत्र अभिव्यक्ति

राष्ट्रीय दलित युवा मोर्चा बहुत जल्द एक मासिक पत्रिका का प्रकाशन करने जा रहा हैं जों दलितों के उपर हो रहे अत्याचार की घटनाओ को मुख्य रूप से प्रकाशित करेगा 

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Friday, February 19, 2010

एक दिवसीय कार्यशाला संपन्न

राष्ट्रीय दलित युवा मोर्चा द्वारा ब्लाक अभनपुर के ग्राम बखतारा में  दलित युवा कार्यकर्ताओं की जन सुचना अधिकार को लेकर दिनाक १७-०२-२०१० को एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया | कार्यशाला के प्रशिक्षक विजय राज बौद्ध सुचना अधिकार के उपयोग करने की जानकारी को विस्तार पुर्वक बताया | 
साथियों जय भीम 
                              छत्तीसगढ़ में एक महिला दलित कार्यकर्ता और उसके पति की हत्या 
एक ओर जहा पुरे देश में दलितों के उपर अत्याचार हो रहे है अब दलितों की अधिकारों के लिए लड़ने वाले दलित कार्यकर्ता एवं उनके परिवार भी सुरछित नहीं है
ऐसी ही एक घटना छत्तीसगढ़ में हुई है 
बिलासपुर जिले के चोरभठी गाव में दलित अधिकारों के लिए कार्य करने वाली दलित महिला कार्यकर्ता अनीता सुर्यवंसी  अवम उसके पति की हत्या गैर दलितों द्वारा कर दी गयी .
अनीता सुर्यवंसी एक बहुत ही गरीब दलित परिवार की लड़की थी महज छोटी सी उम्र में उसके संघर्ष की सुरुवात हुई .उसके गाव गैर दलितों द्वारा दलितों के उपर हो रहे अत्याचारों का उसने सर्वप्रथम विरोध किया जिसके लिए उसे कई बार गैरदलितो के जुल्म का शिकार होना पड़ा हमेशा उसे जान से मारने की धमकी मिलती रही .कुछ आस-पास के दलित कार्यकर्ताओं के साथ जाकर अनीता ने अपने निकटम पुलिस थाना में जाकर रिपोर्ट भी लिखवाई .लेकिन पुलिस ने उसे गंभीरता से नहीं लिया .पुलिस की लापरवाही की कीमत अनीता और उसके पति को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी. अनीता ने अपने अच्छे कार्य वजह से दलित समाज के बीच एक अछि जगह बना ली थी अनीता ने महिला सशक्तिकरण समिति नामक संस्था बनाई जिसके माध्यम से अनीता कार्य करती रही .गावं की पंचायत ने उसके कार्यो को देखते हुए उसकी संस्था को कुछ एकड़ जमीन प्रदान की बस यही जमीन गैर दलितों के आखों की किर-किरी बन गयी और उस जमीन के कब्जे को लेकर गैर दलितों का अनीता को धमकाना शुरू हो गया |  .
पूरी घटना इस प्रकार है :---घटना हुई दिनाक १ दिसम्बर से १४ दिसंबर के बीच 
१ दिसंबर को अनीता अपने निवास से अपनी माँ के निवास जो की उसी गावं में थोड़ी ही दूरी पर था गयी उसने अपनी माँ को बताया की कुछ दिन से मोबाइल पर किसी महिला जो अपने आपको काँटी साहू की दूसरी पत्नी बताती है उसे जमीन एवं ऑफिस छोड़ने के लिए धमकाती रहती है न छोड़ने पर उसे उसके पति सहित जान से मारने की धमकी देती हैं इतना अपनी माँ को बताकर वापिस अपने घर चली गयी 
२ दिसंबर को अनीता की अपने खेत से लौटे हुए अनीता के घर पहुंची तो वहां उसने ताला लगा पाया .फिर अनीता की माँ अपने घर वापिस आ गयी .घर आते ही अनीता की बहन सुनीता ने बताया की अनीता का पड़ोस के मोबाइल में काल आया था की वह अपने पति के साथ बेरला जा रही हैं और १०-१५ दिनों में लौटेगी .
६ दिसंबर ;--- बिलासपुर के एक दानिक पेपर में समाचार आया की बिलासपुर की जवाहर नगर में एक व्यक्ति लाश मिली है जिसकी पहचान अनीता के पति के रूप में हुई.लाश के पास जहर की छोटी बोतल भी बरामद हुई ताकि यह आत्महत्या लगे लेकिन मेडिकल रिपोर्ट में यह साफ़ हो गया की यह हत्या है  अनीता के घरवालों ने अनीता के बारे में पतासाजी की पर उसका कोई पता नहीं चला .उन्होंने तखतपुर थाना में अनीता के गम एवं उसकी हत्या की आशंका की रिपोर्ट लिखवाई .
१३ दिसंबर ;-अनीता के निवास से लोंगो को बदबू आई  लोंगो ने पुलिस को सुचना दी .पुलिस ने अनीता के घर का ताला तोडा और अनीता के घर से उसकी लाश बरामद की. पुलिस अपने साथ जासूस कुत्ता भी लाई थी जो की सीधा सूंघते हुए गावं के बाहर कान्ति साहू के निवास पहुंचा .१३ दिसंबर की रात में खबर मिलते ही काफी दलित कार्यकर्ता घटना स्थल पर पहुच गए  .अनीता की लाश सड़ी गली आधा सरीर कंकाल आधा सही मिला . पुलिस और हमारी टीम ने पाया की जिस पलंग पर अनीता लाश मिली थी उसके आस-पास संघर्ष के कोई निशान नहीं थे ऐसा प्रतीत होता था जैसे लाश कहीं और लाकर यहाँ रख दिया गया हो .
१४  दिसंबर पुलिस ने पंचनामा किया और लाश को पोस्ट-मार्टम के लिये बिलासपुर मेडिकल हॉस्पिटल भेज दिया . हॉस्पिटल के डोक्टोर्स ने लाश को रायपुर रिफेर कर दिया .रायपुर के डॉक्टर ने लाश की तमाम हड्डियों को फोरेंसिक जाँच के लिए रख लिया और हमे सिर्फ एक थैले में लाश की थोड़ी सी चमड़ी दे दी . जिसका हम लोंगो ने अंतिम संस्कार किया .

पुलिस ने कान्ति साहू को व्यान के लिए बुलाया और उसे छोड़ दिया .अपनी रिपोर्ट में अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया .
उस दिन से लेकर आज तक पुलिस ने कोई ठोस कारवाही नहीं की .
शर्म की बात यह छत्तीसगढ़  में तमाम संघटन जो मानव अधिकारों को बात करते हैं उन्होंने इस घटना पर कोई प्रतिकिर्या नहीं दी .
आप तमाम दलित कार्यकर्ताओ से राष्ट्रीय दलित युवा मोर्चा अपील करता हैं की हमारी एक दलित महिला कार्यकर्ता को न्याय दिलाने के लिए आगे आये .हमारी इस फेक्ट -फिन्डिंग टीम हमारे साथी ------------ विभीषण पत्रे ,शेखर नाग,गुड्डू लहरे,दुर्गा झा,बाबु भाई श्रीवास,मुनि भाई,विजयराज,

         अनीता सूर्यवंशी को अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि एवं क्रन्तिकारी जय भीम के साथ आप सभी को 

                                                            जय-भीम 

       

  दलित महिला के साथ बलात्कार     
छत्तीसगढ़ :रायपुर जिले के कसडोल ब्लाक के ग्राम अहिल्दा में एक गैरदलित के द्वारा एक दलित महिला का बलात्कार किया गया .
१ जनवरी २०१० की दोपहर को समय २:३० को श्रीमती बैशाखिन बाई पति श्री शुभेरम सतनामी  उम्र ४८ वर्ष  साकिन ग्राम अहिल्दा तहसील बलोदा बाज़ार  जिला रायपुर 
अपने खेत से कार्य करके लौट रही थी की गावं के रास्ते में लेखु साहू पिता रामरतन साहू उम्र १८ वर्ष साकिन ग्राम अहिल्दा ने पीड़ित का जबरदस्ती हाथ खीचकर बहारा खर की तरफ घसीट कर ले गया
और उसके साथ बलात्कार किया . पीड़ित महिला ने अपने घर आकर अपने पति इस बात की जानकारी दी और साथ जाकर रिपोर्ट दर्ज कराई.पहले तो पुलिस थाना प्रभारी ने रिपोर्ट को दर्ज करने से इंकार किया .तो कसडोल में राष्ट्रीय दलित युवा मोर्चा के कार्यकर्ता को इसकी जानकारी दी गयी रा.द.यु.मो. के हस्त्पक्षेप करने पर थाना प्रभारी ने रिपोर्ट दर्ज की .दुसरे दिन रा.द.यु .मो.के पदाधिकारी घटनास्थल 
गए और उन्हीने पीड़ित से मुलाकात कर सरे मामले की फक्त-फैन्डिंग की.थाने में जाकर जानकारी ली . टीम ने रिपोर्ट में पाया की केवल बलात्कार की सामान्य धारा को लिखा गया है .अनुसूचित जाती/जनजाति अत्याचार(निवारण)अधिनियम १९८९ का कोई उल्लेख नहीं किया गया हैं .टीम के प्रेशर डालने पर थाना इन्चार्गे से काफी बहस के बाद रिपोर्ट में अधिनियम की धारा ३(२)५,३(१)११ को लिखा गया
अपराधी की गिरफ़्तारी ७ दिनों के भीतर हो गयी .अदालत में आरोप पत्र दाखिल कर दिया गया हैं.पीड़ित को २५%मुआवजा मिल गया हैं.

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Guru Ravidas & Bouddha darshan

आप सभी को संत शिरोमणि गुरु रविदास जी जयंती की हार्दिक शुभकामनाये 
                सतगुरु रविदास जी तथा बोद्ध दर्शन 
सतगुरु रविदास जी के  दर्शन पर एक नज़र डाली जाये तो स्पस्ट पता चलता हैं की तथागता भगवान गौतम बुद्ध ने जो लगभग २५०० वर्ष पुर्व जन साधारण का मार्ग दर्शन किया था उसी पर चलकर  सतगुरु रविदास जी ने अपनी जनता का जनजागरण किया हैं | आपके उपदेशो में हम सहज ही भगवान बुद्ध की अनेक शिक्षाओं की झलक देख सकते हैं | डा ० नैपाल सिंह (उत्तरी भारत के संस्क्रित विकास में संतों का योगदान ,पृष्ठ ९९)के अनुसार जिस जाती प्रथा को चुनोती देकर भगवान बुद्ध ने एक महान आन्दोलन की शुरुवात की  उसे संतों ने चरमसीमा तक पहुंचा दिया था |डा . आडकर के अनुसार  निर्गुण संतों का दृष्टिकोण बौद्ध धम्म के दृष्टिकोण से मिलता जुलता  हैं जो शताव्दियों तक वैदिक धर्म से संघर्ष करता हैं | बौद्ध धम्म से प्रेरित इस विचारधारा के विकास के कारण ही यह संभव हो सका की संत काव्य वैदिक परंपरा के कर्मकांडो का विरोध कर सका जो कालांतर में वैष्णव धर्म में भक्ति के | इसीलिए निर्गुण संतों ने अवतारवाद,मूर्ति पूजा ,तीर्थ.व्रत.माला आदि विरोध किया (हिंदी निर्गुण काव्य का प्रारंभ ,पृष्ठ-१०६)|इन विचारों के समर्थन में डा.धरमपाल सरीन लिखते हैं की मध्ययुगीन संत काव्य की आधारशिला अनुभव ज्ञान की हैं इसमें जीवन का प्रत्यक्ष दर्शन हैं |इसमें प्राचीन वैदिक साहित्य की उपेक्षा की गयी हैं | इसका दृष्टिकोण बौद्ध धम्म के अनुरूप हैं जो शताब्दियों तक वैदिक धर्म से संघर्ष करता रहा |संत काव्य बौद्ध साहित्य की परंपरा से ही अनुप्रमाणित हुआ मन जाता हैं (नीच ते उंच कीओ मेरे सतगुरु,पृष्ठ -३३)डा ग्रिय्सेन के हवाले से डा. हजारी प्रसाद दिवेदी लिखतें हैं की भक्ति आन्दोलन एक विरत जन आन्दोलन था |यह सभी आंदोलनों से कहीं अधिक विशाल था क्योंकि इसका प्रभाव आज वर्तमान में भी दिखाई  पड़ता हैं|
गुरु   रविदास का कथन हैं की :-
       पढ़े गुने कुछ समझि न परही,जों लो अनभे भाऊ न दरसे  |
सतगुरु रविदास जी केवल अनुभव पर इस बल को बौद्ध परंपरा में भी पूरी पूर्णतया स्वीकारा गया |स्वयं भगवान बुद्ध द्वारा कहा गया हैं की किसी की सुनी सुनाई बात पर विस्वास नहीं करना चाहिए ,केवल उसे इसलिए भी नहीं मन लेनी चाहिए की परंपरा ने उसे स्वीकारा गया हैं उसे तभी मानना चाहिए जब स्वयं अपने अनुभव तथा विचार द्वारा उसे सिद्ध कर लिया गया हो |
         सुरसरी सलल क्रित बारुनी रे संत जन करत नहीं पानं |
         सुरा अपवित्र नत अवर जल रे सुरसरी मिळत नहि होई आनं |
सतगुरु रविदास जी कहतें हैं की शराब यदि गंगा जल से भी बनाई गई हो तो व्यक्ति को उसका सेवन नहीं करना चाहिए .क्योंकि शराब तो अन्तः शराब ही है अर्थात अपवित्र हैं पर यदि शराब या अपवित्र पानी गंगा में फेक दिया जाये तो वह गंगाजल से मिलकर अलग नही होता अर्थात गंगा का ही रूप हो जाता हैं |उसी प्रकार भिक्षुओ को भी एक ऐसे ही शिक्षापद --:"सुरा मेर मध् बेर मणि सिक्का पदम् समदयामी"
      रविदास सोई साधू भलो,जऊ जानही पर पीर |
      पर पीरा कहुं परिव के ,रहवे सदही अधीर ||
सदगुरू जी कहतें हैं की साधू वही अच्छा हैं जों दूसरों के दुःख को समझता हैं दूसरों के दुख में सहायक होता हैं और सबके दुखों को अपना मानता हो | सदगुरू की यह विचारधारा बोधिसत्व की करुना और मैत्री  दया भाव को स्मरण कराती हैं |आपने जाति-पाती का भी खंडन किया हैं|
              रविदास ब्राहण मत पुजिये , जऊ होवे गुणहीन |
              पूजहिं चरण चंडाल के,जऊ होवे गुण प्रवीन ||
सदगुरू जी कहतें हैं की यदि ब्राहण बिना किसी गुण के हो तो उसे नही पूजना चाहिए .उसका आदर नहीं करना चाहिए , परन्तु यदि चंडाल गुण प्रवीन हो तो अच्छे गुण वाला हो तो उसकी पूजा करनी चाहिए उसका आदर करना चाहिए |ऐसे ही भेद-भाव को भगवान बुद्ध ने भी अस्वीकार किया था , ऐसे ही विचारों का प्रसार गुरूजी अपनी वाणियों में प्रकट  किया हैं 
           ऐसा चाहूँ राज मैं ,जहाँ मिले सबन को अन्न |
           छोट बड़ो सब सम बसे रहे रैदास प्रसन्न ||
             जय गुरुदेव-- जय भीम---नमो बुद्धाय

Tuesday, February 16, 2010

राष्ट्रीय दलित युवा मोर्चा

आज देश के दलित नवयुवको को आवश्यकता एक बेहतर मार्गदर्शन जो उन्हें उनके अधिकारों के लिए प्रेरित कर सके .आज बहुत ज्यादा आवश्यकता जागरूकता की ।
राष्ट्रीय दलित युवा मोर्च एक पूरी तरह गैरराजनीतिक संघटन हैं जो दालित अधिकारों के लिए संकल्पित हैं। हमारा संगठन एस ३ योजना पर कार्य करता हैं
१ शिक्षा ;-- समाज के लिए शिक्षा (सामाजिक शेक्षणिक राजनितिक आर्थिक)
२ सम्मान :--सारे दलित समाज का सम्मान (सामाजिक आर्थिक राजनितिक)
३ सुरक्षा :-- हमारे दलित समाज की सुरक्षा हर तरह से सुरक्षा
एस ३ प्लान को पूरा करने के लिए आवश्यकता जागरूक दलित यूवको की जो इस देश में जातिविहीन समाज की स्थापना करने में विश्वास रखते हों ।
जहाँ हो दलित अत्याचार करें सिर्फ एक पुकार
राष्ट्रीय दलित युवा मोर्चा

जय भीम