जहाँ हो दलित अत्याचार करें सिर्फ एक पुकार राष्ट्रीय दलित युवा मोर्चा

जहाँ हो दलित अत्याचार करें सिर्फ एक पुकार राष्ट्रीय दलित युवा मोर्चा

जहाँ हो दलित अत्याचार करें सिर्फ एक पुकार राष्ट्रीय दलित युवा मोर्चा

Saturday, August 21, 2010

Urgent Appeal - Ccase of 5 Dalit Foundation HRDs arrested in India - Your solidarity is requested.

Five Human Rights Defenders ( including three women ) of  Dalit Foundation ( India) arrested and remanded to judicial custody on false charges on India's 64th Independence Day ( 15th August 2010 ) Henri Tiphagne, Executive Director of People's Watch has also been identified as an 'absconding accused' by the police in the same criminal case.

Thursday, August 19, 2010

छत्तीसगढ़ --: रायपुर जिले के पलारी क्षेत्र में दलितों और गैर दलितों के बीच खुनी संघर्ष






पलारी -| ब्लाक के ग्राम बलोदी में 65 एकड़ जमीन पर दलित समुदाय के लोग पिछले २० , २५ वर्षों से खेती करते आ रहे हैं बस यहीं जमीन वहां रह रहे गैर दलितों की आखों की किरकिरी बनी थी 
गैर दलित पिछले कई वर्षों से दलितों को किसी न किसी बहाने से प्रताड़ित करते चले आ रहे थे , ग्राम बलोदी में 40% आबादी दलितों की हैं 60% आबादी गैरदलितों की हैं,,


अपने जानवरों को दलितों के खेतों में चराता एक गैर दलित 

दलितों की जमीन
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दलितों की गिफ्तारी के बाद वहां के तहसीलदार ने 
पुलिस सुरक्षा के साथ दुसरे दिन  फिर गैर दलितों को 
दलितों के खेतों में जानवर छोड़ने का आदेश दिया 
मुख्य घटना ---: 16  अगस्त को गैरदलितों द्वारा गाँव  में एक मीटिंग का आयोजन किया गया जिसमे दलितों को उनकी जमीन से बलपूर्वक बेदखल करने का फैसला किया गया ,दुसरे दिन 17 अगस्त को सारे गैर दलित 300 से 400 की जनसँख्या में अपने सारे जानवरों को लेकर दलितों के खेतों को चराने के लिए गए .तथा अपने जानवरों को उनके खेतों में उनकी फसल को चरने छोड़ दिया . कुछ समय बाद जब दलित बस्ती में इस बात की खबर पहुंची . तो दलितों ने वहां जाकर विरोध जताया . बातचीत के दौरान गैरदलितों के गुट ने उन पर अचानक हमला बोल दिया . और दोनों समुदायों के बीच खुनी संघर्ष चालू हो गया जिसमे दोनों समुदायों के बहुत लोग घायल हो गए . दो गैर दलितों की मौत हो गयी .पुलिस घटना के बहुत देर बाद वहां पहुंची . पुलिस ने 24 दलितों को गिरफ्तार किया ..

घटना के पूर्व गाँव की पृष्ठ भूमि -: गाँव की लगभग आबादी 3500 हैं जिसमे दलितों की जनसंख्या 45% तथा गैरदलितों की जसंख्या 55% हैं , विवेचना के दौरा ऐसी कई बातें सामने आयी जों यह बताती हैं की इस गाँव में घोर छुआ-छूत हैं , गैर दलित हमेशा से दलितों को किसी न बहाने प्रताड़ित करते आ रहे थे .
रमेश घृतलहरे के अनुसार --: लगभग ४० से ४५ वर्ष पूर्व एक पुराने मालगुजार जुदावर मल्दागा ( बनिया )से दाऊ सिदार कश्यप ने इस गाँव को ख़रीदा. बेचते समय बनिया ने दाऊ से कहा था की केवल जितनी जमीन मैं मेरा हाल चलता हैं उतनी ही भोमी में हाल चलाना ,बाकि जमीन को घस्भूमि के लिए रखना . कुछ समय बाद एक साजिश के तहत गाँव के गैरदलितों ने उक्त बनिया मारपीट कर गाँव से भगा दिया ,उस समय गाँव में लगभग 350 एकड़ खली जमीन थी , धीरे-धीरे गाँव के गैर दलितों ने उक्त खली जमीन को अपने कब्जे में ले लिया , कुछ लोंगों ने पटवारी के साथ मिलकर बहुत  सी जमीनों को अपने नाम करा लिया  , जों जमीन खली बची उसमे से कुछ एकड़ पर दलितों ने  खेती करना चालू कर दिया.
इस घटना के पूर्व की घटनाये --: सन 80 में जब पंचायत चुनाव  हुआ तो गाँव के दाऊ भगवतदास कश्यप चुनाव हर गया और दलित कल्याणदास घृतलहरे चुनाव जीत गए , तब भी जातिगत झगडा हुआ था .
२-:  1993  में गौरी-गौर ( छत्तीसगढ़ का एक धार्मिक त्यौहार ) के समय कुछ गैरदलित युवकों ने गों में जातिगत गलियां देते हुए एक दलित टेलर रमेश भारती को मारा और उसकी दुकान में आग लगा दी थी .
३-: एक होलिका दहन के समय गैर दलितों उत्पात मचाते हुए कुछ दलितों के घर में  आग ली दी थी .  

दलितों के खेतों की मेड बैठे गैर दलित 
दलितों के खेतो की फसल पुलिस ने की 
यह तशवीरें पूरी घटना खुद व्यान करती हैं ..इन सारे लोंगो से जब हमने पूंछा की क्या हुआ तो इनका कहना था इस गाँव के दलितों हम लोंगो से कुछ ज्यादा ऊँची आवाज में बात करने लगे थे अगर इस गाँव रहना हैं जमीन छोडनी पड़ेगी -----

पलारी गाँव के तहशिलदार के अनुसार -: गाँव में जातिगत तनाव काफी समय से हैं यहाँ के दलित भूमिहीन हैं . गैर काफी सम्रद्ध हैं , गैरदलितों ने भी लगभग 250-300 एकड़ पर कब्ज़ा कर रखा हैं , हमारे उपर काफी दवाब हैं , शासन सीमांकन करके उक्त जमीन को कब्ज़ा मुक्त कराएगा ..
गाँव मौजूद तहसीलदा& राजस्व इंस्पेक्टर                     
गाँव में मौजूद पुलिस इंस्पेक्टर& विजय राज(NDYF)
थाना पलारी के पुलिस इंस्पेक्टर ने गिरफ्तार व्योक्तीयों का निन्मलिखित व्योरा दिया 
दलितों के उपर की गया F.I.R,,

  1.  अपराध क्र..254/10............. धाराएँ 147,148,149,294,323,506(B) , 307,ipc 302 ipc
  2. प्रार्थी ---------------- कालीचरण पिता मुखीराम देवांगन उम्र ३० वर्ष ग्राम बलोदी 
  3. आरोपी ------- १ मंगलदास सतनामी २ भद्दर सतनामी ३.छोटेलाल सतनामी ४, बिलवा ५.बग्गू सतनामी ६,गिरधारी सतनामी ७, खेदु सतनामी ८,जीवन सतनामी ९,इंदु १०, ज्ञानदास सतनामी ११,मनोहर सतनामी + 30-40 ग्रामवासी बलोदी
  4. जब्त किये गए हथियार ---------- सिर्फ 8-10 लाठियां  
गैरदलितों के उपर किया गया FIR...

  1. अपराध क्र. 255/10 ------------------- धाराएँ  .. 147,148,149,294,506(B) 323 ipc(कोई बड़ी धाराएँ नही , कोई sc/st act नही लगाया गया )
  2. प्रार्थी ------ मगलदास पिता भोजराम सतनामी उम्र 65 वर्ष ग्राम बलोदी थाना पलारी 
  3. आरोपी ...... १, राजेंद्र २,जनक ३,पुनीत ४, सुरेन्द्र ५,मनीराम ६,कालीचरण ७, पंचराम ८,तुलसीराम ९.बदन १०,बेशाखुराम ११,खिलावन १२. तिलक १३,हरवंश १४,गोपाल १५,मनहरण १६, साधराम १७, मूतु १८, परस १९,महासिंह २०, नत्थू २१,मनोहर यादव २२,भवानी २३,चोवा २४,भीम सिंह + 25-30 व्यक्ति सभी ग्राम बलोदी थाना पलारी 
जिन व्योंक्तियों के नाम दिए गए हैन वो सभी गिरफ्तार हो चुके हैं ...... पुलिस इन्स्पेक्टर थाना पलारी 

                                                   जय-भीम
यह सारे घर वहां रहने वाले दलितों के हैं जों की भूमिहीन है और इन्हें उक्त जमीन का पट्टा २००२ में तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री अजित जोगी द्वारा हरेली-सहेली योजना के तहत प्रदान किया गया था 
 
                                                                                                    



Monday, July 26, 2010


राष्ट्रीय दलित युवा मोर्चा द्वारा रायपुर कलेक्टर का घेराव
14 जुलाई २०१० को ग्राम तर्री (राजिम)विकासखंड अभनपुर . पंचायत में रोजगार गारंटी योजना में धांधली तथा दलितों को रोजगार नही मिलने की शिकायत को लेकर रायपुर कलेक्टर का घेराव किया गया . 
ग्राम पंचायत तर्री में अभी तक पूर्ण रोजगार गारंटी योजना लागु नही हैं,यहाँ लोंगों को बमुश्किल १०० दिनों के कम में केवल १५ या २० दिन कम मिलता हैं . ग्राम सचिव द्वारा विशेषकर दलित वर्ग के लोंगों को जॉब कार्ड नही दिया गया .राष्ट्रीय दलित युवा मोर्चा द्वारा इस ग्राम पंचाट में कार्य शुरू करने पर इस घटना का पर्दाफाश हुआ. 

Thursday, June 3, 2010

दलित युवक पुलिस की हिरासत में



मध्य प्रदेश में पुलिस किस तरह अपनी वर्दी पर दाग लगा रही है, इसका एक उदाहरण मुरैना के सिविल लाइंस थाने में दिखा, जहां पुलिस ने एक दलित युवक को पिछले चार दिनों से बंधक बनाकर रखा है।
बताया जा रहा है कि पुलिस उसे जाति सूचक गालियां दे रही है और उसके साथ मारपीट भी कर रही है। इतना ही नहीं पुलिस ने उसे छोड़ने के लिए 10 हजार रुपए की मांग की है।
इस सबके बाद जब दलित युवक के परिजनों ने कोर्ट में आवेदन किया तो पुलिस ने कोर्ट को किसी तरह की जानकारी नहीं दी और कोर्ट को बता दिया कि युवक को गिरफ्तार नहीं किया गया है और ना ही वह किसी मामले में वांटेड है।
दलित युवक के परिजन अब एसपी के दफ्तर में इंसाफ की गुहार लगा रहे हैं |




दलित युवक की हत्या


रायसेन। जिले के थाना सुल्तानगंज के तहत ग्राम बम्होरी सूबेदार में खेत की मेड़बंदी के लिए पत्थर जमाने से मना करने को लेकर पैंतालीस वर्षीय दलित हरकिशन का पड़ोसी किसान कल्याण चिड़ार से कहासुनी हो गई। इसके बाद कल्याण सिंह सहित अन्य तीन लोगों ने एक राय होकर लाठियों से उसकी बेरहमी से पिटाई कर दी। बाद में उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कर उनकी सरगर्मी से तलाश शुरू कर दी है।

थाना प्रभारी एसके दुबे ने बताया कि ग्राम बम्होरी सूबेदार में दलित किसान हरकिशन उम्र 45 वर्ष अपने खेत की पत्थरों को जमा कर मेड़बंदी कर रहा था।तब इस मामले का कल्याण सिंह चिड़ार ने विरोध किया तो दोनों के बीच झूमा-झटकी हो गई।

बाद में कल्याणसिंह, रम्मू, गनपत और अमानसिंह चिड़ार ने लाठियों से पीट-पीटकर गंभीर रूप से घायल कर दिया। मारपीट के दौरान उसकी छाती और सिर में चोटें लगीं। इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया। मृतक की पत्नी कमलाबाई की रिपोर्ट पर पहले पुलिस ने जानलेवा हमले का प्रकरण दर्जकर लिया था। बाद में सुल्तानगंज पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ हत्या का केस दर्ज कर लिया हैं | 

Saturday, May 22, 2010

Friday, April 16, 2010

Dalits OF Chhattishgarh Should Learn a Lesson From The Dalits of Maharashtra

राष्ट्रीय दलित युवा मोर्चा सलाम करता हैं महाराष्ट्र के उन दलित भाइयों के आत्म-सम्मान,मानवीय गरिमा, उस संघर्ष को जों उन्होंने खैरलांजी हत्या कांड के मुजरिमों को फंसी के तख्ते तक पहुँचाया.
लेकिन एक तकलीफ भी होती हैं की ये सिलसिला केवल महाराष्ट्र तक ही सिमित रहा ,आज छात्तिश्गढ़ में लगातार दलितों के उपर अत्याचार हो रहे हैं लेकिन यहाँ के दलितों  या उनके उपर कम कर रहे संघठनो के उपर जू तक नही रेंग रही , वो तमाम पार्टी के नेता जों अपने आप को दलितों का हितेषी कहते हैं या वो तमाम मानव अधिकारों की पैरवी करने वाले संघठन, दलित कार्यकर्ता ,दलित बुद्धजीवी न जाने क्यों इन मुद्दों पर चुप्पी साध लेते हैं ,ऐसे कई उदाहरण हैं की जब-जब केवल दलितों पर अत्याचार होते ये सारे लोग न जाने कहाँ गायब हो जाते हैं , लेकिन जब इनके किसी मुद्दे को लेकर रैली या धरना प्रधार्शन करना हो तो न जाने कहाँ से हमारे दलित कार्यकर्ताओं की भीड़ इनके साथ होती हैं
हम क्यों सबक नही लेते महाराष्ट्र के दलित भाइयों से सबक लेने की जिन्होंने मानवता को भी शर्मशार करने वाली खैलांजी घटना का पूरे जोर शोर से विरोध किया ,सबक लेना चाहिए उन महिलाओं से जिन्होंने मुख्यमंत्री सदन में घुसकर अपना विरोध प्रदर्शन किया, 

                                     जय-भीम 

Thursday, April 15, 2010

महिला आरक्षण बनाम दलित महिला





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Wednesday, April 14, 2010

लक्ष्मणपुर बाथे नरसंहार में दलितों के साथ न्याय हो सका ?

 अभी हाल ही में न्यायलय द्वारा  लक्ष्मण बाथे गावं में हुए सामूहिक दलित नरसंहार में शामिल आरोपियों को सजा ए मौत की सजा  दी गयी ! लेकिन सवाल सिर्फ इतना है की केवल कुछ लोंगों को सजा देने से बाथे गावं के दलितों परिवारों  के साथ न्याय हुआ ?     
जहानाबाद जिले के लक्ष्मनपुर बाथे गावं की दलित बस्ती का हर शख्स १ दिसम्बर १९९७ की उस घटना से वाकिफ हैं, जब ऊँची जाति के लोंगों बनाई गयी रणवीर सेना गिरोह के लोंगों ने दिन-दहाड़े 57 लोंगों को गोलियों से भून डाला था ! एक ही दिन में बस्ती के ५७ लोग मारे गए थे,जिनमे २७ महिलाएं थी और १० बच्चे थे ! करीबी लोंगों के मुताबिक इनमे से १० महिलाएं गर्भवती भी थी ! कहा गया था की लाल झंडेवालों के साथ जुड़ने की सजा रणवीर सेना की तरफ से उस बाथे गावं की दलित बस्ती को दी गयी !जबकि असलियत यह थी की सदियों से चली आ रही शोषण-उत्पीड़न और जातीय आधार पर बनाई गयी मनुवादी व्यवस्था को मानने से वहां के दलितों ने इंकार कर दिया था ! इस फैसले से बाथे गावं के वो दलित परिवार जों पिछले तेरह वर्षों से न्याय की आस लगाये बैठे थे वे आज खुद को निराश महसूस कर रहे हैं !
अपनों से बिछुड़ने के घाव फिर हरे हुए हैं !६० साल के बौद्ध पासवान , जिनकी पत्नी, चार लड़के, दो लड़कियां इस नरसंहार में मर दी गयी . पूंछते हैं की आखिर इतने कम लोंगों को सजा क्यों हुई? बिमलेश ने अपनी आखों के सामने अपने पिता सोहर राज्वंसी, भाई मतरमल,और कमलेश तथा उनकी पत्नियों को ढेर होते देखा जब गोलियां दागते रणवीर सेना के कारिंदे उनके घर में दाखिल हुए ! उनकी इस पीड़ा को कौन समझ सकता हैं  ?
इस नरसंहार के बाद तत्कालीन राबड़ी देवी सरकार ने २७ दिसंबर १९९७ को न्यायधीश आमिर दस के नेतृत्व में एक आयोग का गठन किया ताकि रणवीर सेना के राजनितिक रिश्तों का पता लगाया जा सके ! हालाँकि ८ साल बाद जबकि आयोग द्वारा करोड़ों रूपए खर्च किये जा चुके थे और आयोग अपनी रिपोर्ट जमा करने ही वाला था सत्ता में पहुंची भाजपा के समर्थन वाली नितीश कुमार सरकार ने इस आयोग को भंग कर दिया था !
आयोग ने ४२ बड़े राजनेताओं तथा ४८० लोंगों से पूंछतांछ की थी, जिसमे भाजपा के वरिष्ट नेता मुरली मनोहर जोशी,रामाश्रय प्रसाद सिंह,जनता दल (उ) के शिवानन्द तिवारी आदि सभी शामिल थे , द हिन्दू के मुताबिक °आयोग की report° भाजपा के कई वरिष्ट नेताओं की इस मामले में रही मिलीभगत पर भी रौशनी ड़ालती हैं !
निशचित ही बाथे जनसंहार के मास्टर माइंड तक जब तक कानून के हाँथ नही पहुँचते तब तक दलितों और उनके अधिकारों की बात करने वाले तमाम संघठनो को चैन से नही बैठना चाहिए,
                                             जय-भीम 

Sunday, March 21, 2010

छत्तीसगढ़ में एक दलित महिला पुलिस निरीक्षक का निलंबन


 छत्तीसगढ़ में एक दलित महिला पुलिस निरीक्षक का निलंबन रायपुर-पुरानी बस्ती थाना की निरीक्षक सुश्री लता चौरे का निलंबन सिर्फ इसलिए कर दिया गया क्योंकि उन्होंने चार्ज लेते ही क्षेत्र के तमाम गुंडे -बदमांशों की गुंडागर्दी पर लगाम लगाना शुरू कर दिया था. इनकी गुंडागर्दी का जब महिला निरीक्षक ने विरोध किया तो उन्होंने अपने आका से शिकायत कर दी की एक दलित महिला हम जैसे उच्च जाति को लोंगों को रोब दिखाती हैं .फिर क्या था उक्त अफसर मौका ताकने लगा और उसे मौका मिला होली के दिन जब महिला निरीक्षक लगातार ४० घंटों की ड्यूटी करने के उपरांत अचानक व्यक्तिगत समस्या आ जाने के कारण कपडे ..बदलने के लिए अपने स्टाफ को बताकार अपने निवास पर सिर्फ १० मिनिट के लिए गयी थाने में मोजूद उक्त उच्च जाति के चमचे ने  उक्त अफसर को खबर दी . अफसर ने जब महिला निरीक्षक से पूंछा तो महिला निरीक्षक ने उन्हें सही जानकारी देकर तुरंत आने की सुचना दी.महिला निरीक्षक की ईमानदारी से बताने की सजा उसे निलंबन  के रूप में मिली.यह हाल हैं हमारे छात्तिश्गढ़ का . जय भीम












महिला आरक्षण में दलित महिलाओं का भविष्य

इस विषय पर राष्ट्रीय दलित युवा मोर्चा आपके विचार आमंत्रित करता हैं .सर्वश्रेष्ठ लेख का चुनाव कर लेखक को १००० रूपये का इनाम राष्ट्रीय दलित युवा मोर्चा के द्वारा दिया जायेगा .जय- भीम 

Saturday, March 20, 2010

महिला आरक्षण बनाम दलित महिला

महिला आरक्षण बनाम दलित महिला
अभी हाल ही में संसद में महिला आरक्षण का बिल पेश किया गया . इस बिल से हमारे दलित समाज की महिलाओं को कितना फायदा मिलेगा . इस पर राष्ट्रीय दलित युवा मोर्चा आपके विचार आमंत्रित करता हैं .

Saturday, March 6, 2010

आदिवासी महासभा की महारैली
छत्तीसगढ़ ..सर्व आदिवासी समाज के द्वारा अपनी मांगों को लेकर राजधानी रायपुर में महारैली का आयोजन २७ फरबरी को किया गया.

Monday, February 22, 2010

दलित वाच ---दलित अधिकारों की स्वतंत्र अभिव्यक्ति

राष्ट्रीय दलित युवा मोर्चा बहुत जल्द एक मासिक पत्रिका का प्रकाशन करने जा रहा हैं जों दलितों के उपर हो रहे अत्याचार की घटनाओ को मुख्य रूप से प्रकाशित करेगा 

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Friday, February 19, 2010

एक दिवसीय कार्यशाला संपन्न

राष्ट्रीय दलित युवा मोर्चा द्वारा ब्लाक अभनपुर के ग्राम बखतारा में  दलित युवा कार्यकर्ताओं की जन सुचना अधिकार को लेकर दिनाक १७-०२-२०१० को एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया | कार्यशाला के प्रशिक्षक विजय राज बौद्ध सुचना अधिकार के उपयोग करने की जानकारी को विस्तार पुर्वक बताया | 
साथियों जय भीम 
                              छत्तीसगढ़ में एक महिला दलित कार्यकर्ता और उसके पति की हत्या 
एक ओर जहा पुरे देश में दलितों के उपर अत्याचार हो रहे है अब दलितों की अधिकारों के लिए लड़ने वाले दलित कार्यकर्ता एवं उनके परिवार भी सुरछित नहीं है
ऐसी ही एक घटना छत्तीसगढ़ में हुई है 
बिलासपुर जिले के चोरभठी गाव में दलित अधिकारों के लिए कार्य करने वाली दलित महिला कार्यकर्ता अनीता सुर्यवंसी  अवम उसके पति की हत्या गैर दलितों द्वारा कर दी गयी .
अनीता सुर्यवंसी एक बहुत ही गरीब दलित परिवार की लड़की थी महज छोटी सी उम्र में उसके संघर्ष की सुरुवात हुई .उसके गाव गैर दलितों द्वारा दलितों के उपर हो रहे अत्याचारों का उसने सर्वप्रथम विरोध किया जिसके लिए उसे कई बार गैरदलितो के जुल्म का शिकार होना पड़ा हमेशा उसे जान से मारने की धमकी मिलती रही .कुछ आस-पास के दलित कार्यकर्ताओं के साथ जाकर अनीता ने अपने निकटम पुलिस थाना में जाकर रिपोर्ट भी लिखवाई .लेकिन पुलिस ने उसे गंभीरता से नहीं लिया .पुलिस की लापरवाही की कीमत अनीता और उसके पति को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी. अनीता ने अपने अच्छे कार्य वजह से दलित समाज के बीच एक अछि जगह बना ली थी अनीता ने महिला सशक्तिकरण समिति नामक संस्था बनाई जिसके माध्यम से अनीता कार्य करती रही .गावं की पंचायत ने उसके कार्यो को देखते हुए उसकी संस्था को कुछ एकड़ जमीन प्रदान की बस यही जमीन गैर दलितों के आखों की किर-किरी बन गयी और उस जमीन के कब्जे को लेकर गैर दलितों का अनीता को धमकाना शुरू हो गया |  .
पूरी घटना इस प्रकार है :---घटना हुई दिनाक १ दिसम्बर से १४ दिसंबर के बीच 
१ दिसंबर को अनीता अपने निवास से अपनी माँ के निवास जो की उसी गावं में थोड़ी ही दूरी पर था गयी उसने अपनी माँ को बताया की कुछ दिन से मोबाइल पर किसी महिला जो अपने आपको काँटी साहू की दूसरी पत्नी बताती है उसे जमीन एवं ऑफिस छोड़ने के लिए धमकाती रहती है न छोड़ने पर उसे उसके पति सहित जान से मारने की धमकी देती हैं इतना अपनी माँ को बताकर वापिस अपने घर चली गयी 
२ दिसंबर को अनीता की अपने खेत से लौटे हुए अनीता के घर पहुंची तो वहां उसने ताला लगा पाया .फिर अनीता की माँ अपने घर वापिस आ गयी .घर आते ही अनीता की बहन सुनीता ने बताया की अनीता का पड़ोस के मोबाइल में काल आया था की वह अपने पति के साथ बेरला जा रही हैं और १०-१५ दिनों में लौटेगी .
६ दिसंबर ;--- बिलासपुर के एक दानिक पेपर में समाचार आया की बिलासपुर की जवाहर नगर में एक व्यक्ति लाश मिली है जिसकी पहचान अनीता के पति के रूप में हुई.लाश के पास जहर की छोटी बोतल भी बरामद हुई ताकि यह आत्महत्या लगे लेकिन मेडिकल रिपोर्ट में यह साफ़ हो गया की यह हत्या है  अनीता के घरवालों ने अनीता के बारे में पतासाजी की पर उसका कोई पता नहीं चला .उन्होंने तखतपुर थाना में अनीता के गम एवं उसकी हत्या की आशंका की रिपोर्ट लिखवाई .
१३ दिसंबर ;-अनीता के निवास से लोंगो को बदबू आई  लोंगो ने पुलिस को सुचना दी .पुलिस ने अनीता के घर का ताला तोडा और अनीता के घर से उसकी लाश बरामद की. पुलिस अपने साथ जासूस कुत्ता भी लाई थी जो की सीधा सूंघते हुए गावं के बाहर कान्ति साहू के निवास पहुंचा .१३ दिसंबर की रात में खबर मिलते ही काफी दलित कार्यकर्ता घटना स्थल पर पहुच गए  .अनीता की लाश सड़ी गली आधा सरीर कंकाल आधा सही मिला . पुलिस और हमारी टीम ने पाया की जिस पलंग पर अनीता लाश मिली थी उसके आस-पास संघर्ष के कोई निशान नहीं थे ऐसा प्रतीत होता था जैसे लाश कहीं और लाकर यहाँ रख दिया गया हो .
१४  दिसंबर पुलिस ने पंचनामा किया और लाश को पोस्ट-मार्टम के लिये बिलासपुर मेडिकल हॉस्पिटल भेज दिया . हॉस्पिटल के डोक्टोर्स ने लाश को रायपुर रिफेर कर दिया .रायपुर के डॉक्टर ने लाश की तमाम हड्डियों को फोरेंसिक जाँच के लिए रख लिया और हमे सिर्फ एक थैले में लाश की थोड़ी सी चमड़ी दे दी . जिसका हम लोंगो ने अंतिम संस्कार किया .

पुलिस ने कान्ति साहू को व्यान के लिए बुलाया और उसे छोड़ दिया .अपनी रिपोर्ट में अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया .
उस दिन से लेकर आज तक पुलिस ने कोई ठोस कारवाही नहीं की .
शर्म की बात यह छत्तीसगढ़  में तमाम संघटन जो मानव अधिकारों को बात करते हैं उन्होंने इस घटना पर कोई प्रतिकिर्या नहीं दी .
आप तमाम दलित कार्यकर्ताओ से राष्ट्रीय दलित युवा मोर्चा अपील करता हैं की हमारी एक दलित महिला कार्यकर्ता को न्याय दिलाने के लिए आगे आये .हमारी इस फेक्ट -फिन्डिंग टीम हमारे साथी ------------ विभीषण पत्रे ,शेखर नाग,गुड्डू लहरे,दुर्गा झा,बाबु भाई श्रीवास,मुनि भाई,विजयराज,

         अनीता सूर्यवंशी को अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि एवं क्रन्तिकारी जय भीम के साथ आप सभी को 

                                                            जय-भीम 

       

  दलित महिला के साथ बलात्कार     
छत्तीसगढ़ :रायपुर जिले के कसडोल ब्लाक के ग्राम अहिल्दा में एक गैरदलित के द्वारा एक दलित महिला का बलात्कार किया गया .
१ जनवरी २०१० की दोपहर को समय २:३० को श्रीमती बैशाखिन बाई पति श्री शुभेरम सतनामी  उम्र ४८ वर्ष  साकिन ग्राम अहिल्दा तहसील बलोदा बाज़ार  जिला रायपुर 
अपने खेत से कार्य करके लौट रही थी की गावं के रास्ते में लेखु साहू पिता रामरतन साहू उम्र १८ वर्ष साकिन ग्राम अहिल्दा ने पीड़ित का जबरदस्ती हाथ खीचकर बहारा खर की तरफ घसीट कर ले गया
और उसके साथ बलात्कार किया . पीड़ित महिला ने अपने घर आकर अपने पति इस बात की जानकारी दी और साथ जाकर रिपोर्ट दर्ज कराई.पहले तो पुलिस थाना प्रभारी ने रिपोर्ट को दर्ज करने से इंकार किया .तो कसडोल में राष्ट्रीय दलित युवा मोर्चा के कार्यकर्ता को इसकी जानकारी दी गयी रा.द.यु.मो. के हस्त्पक्षेप करने पर थाना प्रभारी ने रिपोर्ट दर्ज की .दुसरे दिन रा.द.यु .मो.के पदाधिकारी घटनास्थल 
गए और उन्हीने पीड़ित से मुलाकात कर सरे मामले की फक्त-फैन्डिंग की.थाने में जाकर जानकारी ली . टीम ने रिपोर्ट में पाया की केवल बलात्कार की सामान्य धारा को लिखा गया है .अनुसूचित जाती/जनजाति अत्याचार(निवारण)अधिनियम १९८९ का कोई उल्लेख नहीं किया गया हैं .टीम के प्रेशर डालने पर थाना इन्चार्गे से काफी बहस के बाद रिपोर्ट में अधिनियम की धारा ३(२)५,३(१)११ को लिखा गया
अपराधी की गिरफ़्तारी ७ दिनों के भीतर हो गयी .अदालत में आरोप पत्र दाखिल कर दिया गया हैं.पीड़ित को २५%मुआवजा मिल गया हैं.

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Guru Ravidas & Bouddha darshan

आप सभी को संत शिरोमणि गुरु रविदास जी जयंती की हार्दिक शुभकामनाये 
                सतगुरु रविदास जी तथा बोद्ध दर्शन 
सतगुरु रविदास जी के  दर्शन पर एक नज़र डाली जाये तो स्पस्ट पता चलता हैं की तथागता भगवान गौतम बुद्ध ने जो लगभग २५०० वर्ष पुर्व जन साधारण का मार्ग दर्शन किया था उसी पर चलकर  सतगुरु रविदास जी ने अपनी जनता का जनजागरण किया हैं | आपके उपदेशो में हम सहज ही भगवान बुद्ध की अनेक शिक्षाओं की झलक देख सकते हैं | डा ० नैपाल सिंह (उत्तरी भारत के संस्क्रित विकास में संतों का योगदान ,पृष्ठ ९९)के अनुसार जिस जाती प्रथा को चुनोती देकर भगवान बुद्ध ने एक महान आन्दोलन की शुरुवात की  उसे संतों ने चरमसीमा तक पहुंचा दिया था |डा . आडकर के अनुसार  निर्गुण संतों का दृष्टिकोण बौद्ध धम्म के दृष्टिकोण से मिलता जुलता  हैं जो शताव्दियों तक वैदिक धर्म से संघर्ष करता हैं | बौद्ध धम्म से प्रेरित इस विचारधारा के विकास के कारण ही यह संभव हो सका की संत काव्य वैदिक परंपरा के कर्मकांडो का विरोध कर सका जो कालांतर में वैष्णव धर्म में भक्ति के | इसीलिए निर्गुण संतों ने अवतारवाद,मूर्ति पूजा ,तीर्थ.व्रत.माला आदि विरोध किया (हिंदी निर्गुण काव्य का प्रारंभ ,पृष्ठ-१०६)|इन विचारों के समर्थन में डा.धरमपाल सरीन लिखते हैं की मध्ययुगीन संत काव्य की आधारशिला अनुभव ज्ञान की हैं इसमें जीवन का प्रत्यक्ष दर्शन हैं |इसमें प्राचीन वैदिक साहित्य की उपेक्षा की गयी हैं | इसका दृष्टिकोण बौद्ध धम्म के अनुरूप हैं जो शताब्दियों तक वैदिक धर्म से संघर्ष करता रहा |संत काव्य बौद्ध साहित्य की परंपरा से ही अनुप्रमाणित हुआ मन जाता हैं (नीच ते उंच कीओ मेरे सतगुरु,पृष्ठ -३३)डा ग्रिय्सेन के हवाले से डा. हजारी प्रसाद दिवेदी लिखतें हैं की भक्ति आन्दोलन एक विरत जन आन्दोलन था |यह सभी आंदोलनों से कहीं अधिक विशाल था क्योंकि इसका प्रभाव आज वर्तमान में भी दिखाई  पड़ता हैं|
गुरु   रविदास का कथन हैं की :-
       पढ़े गुने कुछ समझि न परही,जों लो अनभे भाऊ न दरसे  |
सतगुरु रविदास जी केवल अनुभव पर इस बल को बौद्ध परंपरा में भी पूरी पूर्णतया स्वीकारा गया |स्वयं भगवान बुद्ध द्वारा कहा गया हैं की किसी की सुनी सुनाई बात पर विस्वास नहीं करना चाहिए ,केवल उसे इसलिए भी नहीं मन लेनी चाहिए की परंपरा ने उसे स्वीकारा गया हैं उसे तभी मानना चाहिए जब स्वयं अपने अनुभव तथा विचार द्वारा उसे सिद्ध कर लिया गया हो |
         सुरसरी सलल क्रित बारुनी रे संत जन करत नहीं पानं |
         सुरा अपवित्र नत अवर जल रे सुरसरी मिळत नहि होई आनं |
सतगुरु रविदास जी कहतें हैं की शराब यदि गंगा जल से भी बनाई गई हो तो व्यक्ति को उसका सेवन नहीं करना चाहिए .क्योंकि शराब तो अन्तः शराब ही है अर्थात अपवित्र हैं पर यदि शराब या अपवित्र पानी गंगा में फेक दिया जाये तो वह गंगाजल से मिलकर अलग नही होता अर्थात गंगा का ही रूप हो जाता हैं |उसी प्रकार भिक्षुओ को भी एक ऐसे ही शिक्षापद --:"सुरा मेर मध् बेर मणि सिक्का पदम् समदयामी"
      रविदास सोई साधू भलो,जऊ जानही पर पीर |
      पर पीरा कहुं परिव के ,रहवे सदही अधीर ||
सदगुरू जी कहतें हैं की साधू वही अच्छा हैं जों दूसरों के दुःख को समझता हैं दूसरों के दुख में सहायक होता हैं और सबके दुखों को अपना मानता हो | सदगुरू की यह विचारधारा बोधिसत्व की करुना और मैत्री  दया भाव को स्मरण कराती हैं |आपने जाति-पाती का भी खंडन किया हैं|
              रविदास ब्राहण मत पुजिये , जऊ होवे गुणहीन |
              पूजहिं चरण चंडाल के,जऊ होवे गुण प्रवीन ||
सदगुरू जी कहतें हैं की यदि ब्राहण बिना किसी गुण के हो तो उसे नही पूजना चाहिए .उसका आदर नहीं करना चाहिए , परन्तु यदि चंडाल गुण प्रवीन हो तो अच्छे गुण वाला हो तो उसकी पूजा करनी चाहिए उसका आदर करना चाहिए |ऐसे ही भेद-भाव को भगवान बुद्ध ने भी अस्वीकार किया था , ऐसे ही विचारों का प्रसार गुरूजी अपनी वाणियों में प्रकट  किया हैं 
           ऐसा चाहूँ राज मैं ,जहाँ मिले सबन को अन्न |
           छोट बड़ो सब सम बसे रहे रैदास प्रसन्न ||
             जय गुरुदेव-- जय भीम---नमो बुद्धाय

Tuesday, February 16, 2010

राष्ट्रीय दलित युवा मोर्चा

आज देश के दलित नवयुवको को आवश्यकता एक बेहतर मार्गदर्शन जो उन्हें उनके अधिकारों के लिए प्रेरित कर सके .आज बहुत ज्यादा आवश्यकता जागरूकता की ।
राष्ट्रीय दलित युवा मोर्च एक पूरी तरह गैरराजनीतिक संघटन हैं जो दालित अधिकारों के लिए संकल्पित हैं। हमारा संगठन एस ३ योजना पर कार्य करता हैं
१ शिक्षा ;-- समाज के लिए शिक्षा (सामाजिक शेक्षणिक राजनितिक आर्थिक)
२ सम्मान :--सारे दलित समाज का सम्मान (सामाजिक आर्थिक राजनितिक)
३ सुरक्षा :-- हमारे दलित समाज की सुरक्षा हर तरह से सुरक्षा
एस ३ प्लान को पूरा करने के लिए आवश्यकता जागरूक दलित यूवको की जो इस देश में जातिविहीन समाज की स्थापना करने में विश्वास रखते हों ।
जहाँ हो दलित अत्याचार करें सिर्फ एक पुकार
राष्ट्रीय दलित युवा मोर्चा

जय भीम